महान पराक्रमी राजा वीरभद्र और उनके पुत्र कुमार अक्षय की कहानी जिसमें राजा ने अपने पुत्र की शक्तियों को वापस दिलाने के लिए संघर्ष किया

 बहुत समय पहले की बात है वीरभद्र नाम  के एक क्षत्रिय राजा महान पराक्रमी अत्यंत दयालु कृपा निधान अपनी प्रजा का अपने पुत्रों की भांति ध्यान रखने वाले राजा वीरभद्र जिनका संपूर्ण ब्रह्मांड पर राज था 




राजा वीरभद्र की राजधानी में एक रंग मंच का आयोजन किया गया जिसमें सभी योद्धा अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए रंगभूमि में उतर गए उधर राजा वीरभद्र का पुत्र जिसने अपनी सारी शक्तियां बचपन मैं ही ऋषि के श्राप के कारण गवा दी थी


 रंगभूमि में शक्ति प्रदर्शन के लिए उतर गया युवराज का नाम कुमारअक्षय था कुमार अक्षय के पास जन्म से ही दिव्य शक्तियां थी यह कोई साधारण दिव्य शक्तियां नहीं थी इन शक्तियों से संपन्न मनुष्य को इस ब्रह्मांड में कोई भी नहीं पराजित कर पाएगा


 महाराज वीरभद्र के पास भी इसी प्रकार की नव शक्तियां थी इसीलिए उन्हें आज तक इस ब्रह्मांड में कोई भी पराजित नहीं कर पाया उनकी सभी नवारण शक्तियां जीवित है परंतु महाराज की उम्र अब ढलने की तरफ है और महाराज को चिंता है राज्य की कि वे इस राज्य का कार्यभार किसको देंगे कुमार अक्षय ने बहुत मेहनत की परंतु उसकी यह शक्तियां जागृत नहीं हो पा रही हैं


 ऋषि श्रॉफ केकारण अक्षय कुमार शक्ति विहीन होकर साधारण व्यक्ति रह गया है उसे कोई भी पराजित कर देता है राजा वीरभद्र बहुत चिंतित हैं उन्हें पता है कि नंदनवन के अंदर वह ऋषि 3000 वर्षों से तपस्या में लीन है इस से मुक्ति देने के लिए वह ऋषि ही इस श्रॉफ का उपाय बता सकते हैं


  ऋषि को तपस्या से जागृत करना कोई आसान कार्य नहीं है जो भी मनुष्य इन ऋषियों को तपस्या से जागृत करने की कोशिश करेगा वह स्वयं जलकर भस्म हो  जाएगा वन देवी ही इन ऋषियों को उनकी तपस्या से जागृत कर सकती हैं 


इसीलिए राजा वीरभद्र ने वन देवी को प्रसन्न करने के लिए संपूर्ण राज्य से योद्धाओं को आमंत्रित किया है 


रतन टाटा

 देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का निधन भारत के लिए एक बहुत बड़ी दुखद घटना है रतन टाटा भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक थे वह बहुत ही उदार हृदय और धनी स्वभाव के व्यक्ति थे उन्हें जानवरों से पालतू कुत्तों से बहुत प्यार था रतन टाटा ने अपनी कंपनी टाटा का नाम भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत का नाम रोशन किया रतन टाटा कैसे उद्योगपति थे जिन्होंने सी से लगाकर हेलीकॉप्टर तक अपनी कंपनी में बनाया डिफेंस सिस्टम व्हीकल एंड एयरक्राफ्ट्स का भी निर्माण अपनी कंपनी में ही भारत और विदेशी के लिए करवाया भारत के अंदर कंप्यूटर का युग की शुरुआत करने वाली पहली कंपनी टाटा ही है टाटा ने ही सबसे पहले कानपुर आईआईटी में कंप्यूटर साइंस की स्थापना करवाई जिससे भारत में एक कंप्यूटर के महान युग की शुरुआत हो पाई रतन टाटा अपनी कंपनी की ग्रोथ का एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रति वर्ष और समय-समय पर अनाथालय में और धार्मिक स्थान में और सरकार को दान किया करते थे जिसके कारण उनका देश की तरक्की में एक विशेष योगदान था इस दिवंगत आत्मा का निधन 9.10.2024 को हो चुका है रतन टाटा भरोसे का प्रतीक थे हर भारतीय के दिल की धड़कन थे 



































जंगल की डरावनी कहानी इस जंगल में नरभक्षी पेड़ है

 जंगल की डरावनी कहानी एक अत्यंत ही सुंदर जंगल जिसमें पेड़ पौधे हरे-भरे लंबे और खूबसूरत दिखाई देते हैं चार और सुगंधित फूलों के वृक्ष ऐसा  लगता है की यह जंगल नहीं स्वर्ग है परंतु इस रहस्यमई जंगल में जो भी कोई मनुष्य आ जाता है इसकी सुंदरता से प्रभावित होकर वह कभी वापस अपनी वस्ती में नहीं जाता क्योंकि इस जंगल में नरभक्षी पेड़ है और यह नरभक्षी पेड़ देखने में बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं परंतु उनकी जेड ऐसी होती है कि यह मनुष्य को पकड़ कर बांध लेते हैं और धीरे-धीरे उसका खून चूस लेते हैं जिसके कारण उसे मनुष्य की मौत हो जाती है इस रहस्य का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की कहानी टीम इस जंगल के अंदर उतरी परंतु एक भी टीम वापस नहीं आई क्योंकि यह नरभक्षी पेड़ इतनी खतरनाक हैं कि यह मनुष्य को देखते ही उनके पत्तियां और शाखाएं लप-लआने लगते हैं इस जंगल से रात में भयानक आवाज है आती है ऐसी मान्यता है कि इस जंगल के अंदर भूतों का बसेरा ह यह भूत रात में इस जंगल में नाच गाना करते हैं तथा उत्सव मनाते हैं यदि कोई मनुष्य इनके बीच चल भी जाता है तो यह उसको भी पकवान और मिठाइयां देते हैं खाने के लिए परंतु यदि मनुष्य इन पिशाचों से गलती सेबोल भी जाए इसे तो य वहीं पर उसे व्यक्ति को मार देते हैं उनके पैरों के पंजे उल्टे होते हैं इसीलिए यह जंगल बहुत भयानक है इस जंगल में आज तक जो कोई भी गया है वह वापस नहीं आया और खूबसूरत जंगल की कहानी रहस्य में बनी हुई है







Relation Between Nature and Human (Don't cut trees Please save earth)

 प्रकृति और मनुष्य का संबंध आदिकाल से ही बना हुआ है यदि मनुष्य ने शीघ्र अति शीघ्र प्रकृति का दोहन करना बंद नहीं किया तो परिणाम बहुत गंभीर भुगतने पड़ेंगे आज का मानव अपने स्वार्थ के कारण दिन प्रतिदिन जंगल में पेड़ों को काटता चला जा रहा है प्रकृति का अस्तित्व पेड़ों से ही बना हुआ है क्योंकि पेड़ यह कैसे वस्तु है जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो को ऑक्सीजन उपलब्ध कराते हैं और जीव जंतुओं द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं जिससे प्रकृति में एक संतुलन बना रहता है यदि मनुष्य निरंतर पेड़ों को काटता चला जाएगा तब वायुमंडल में ऑक्सीजन और अन्य गैसों का संतुलन बिगड़ जाएगा जिसके परिणाम स्वरुप धरती का वातावरण गर्म हो जाएगा वायु मंडल गर्म होने के कारण धरती की ऊपरी सतह जलने लगेगी पृथ्वी पर कुछ भी फसल पैदा नहीं होगी पेड़ पौधे जलते शुरू हो जाएंगे परिणाम स्वरूप सारी प्रजाति नष्ट हो जाएगी पृथ्वी पर जीवन शेष नहीं रहेगा पृथ्वी की इतनी भयंकर हालत होने से पहले मनुष्य को अपने किए हुए पर पश्चाताप चाहिए और अपनी गलती में सुधार करना चाहिए और प्रत्येक मनुष्य को इस पृथ्वी को बचाने के लिए वृक्षारोपण जरूर करना चाहिए , तभी हम सब बच पाएंगे






                                                   Don't Cut Trees !   Save Earth 

आज का मानव भौतिक सुखों की चाह में प्रकृति का दोहन बहुत ही बुरे तरीके से कर रहा है अपनी झूठी शान और शौकत बढ़ाने के चक्कर में भौतिक सुखों को बढ़ाने के चक्कर में हम सब प्रकृति का लगातार निरंतर दुरुपयोग कर रहे हैं हम सब और वैज्ञानिक लोग यही समझ रहे हैं कि हमने विज्ञान में बहुत ज्यादा तरक्की कर ली है परंतु ध्यान रहे विज्ञान चाहे कितने भी तरक्की क्यों न कर ले यदि प्रकृति नाराज होती है तो सारी   की सारी भौतिक रिसर्च राखी रह जाती है प्रकृति का कोप झेलने की क्षमता मानव के अंदर नहीं है मानव इस बात को सदैव भूले रहता है आज संपूर्ण विश्व में जंगल और पेड़ों को काटकर नई-नई बस्तियां बनाई जा रही है इमारते बनाई जा रही हैं जिस दिन प्रतिदिन वायुमंडल में गर्मी बढ़ रही है वायुमंडल में रेडिएशन फैल रहा है परंतु सभी देशों की सरकार इन मुद्दों पर चुप है इसका कारण यह है कि यदि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर रोक लगेगी तब उस कंट्री की जीडीपी डाउन हो जाएगी इसलिए सरकारों को सब पता होते हुए भी चुप्पी  रहते हैं इस पृथ्वीपुर सभी जीव जंतुओं में सबसे ज्यादा प्रदूषण मनुष्य के द्वारा ही होता है प्रकृति का शत्रु मनुष्य ही है मनुष्य की आबादी जहां-जहां होती है वहां-वहां गंदगी के ढेर लगे रहते हैं जैसे प्लास्टिक इत्यादि करकट वायुमंडल में भी सबसे ज्यादा प्रदूषण मनुष्य के द्वारा ही होता है गाड़ी उद्योग फैक्ट्री इत्यादियों के द्वारा वायु प्रदूषण लगातार हो रहा है सरकारों को प्रकृति को बचाने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे कि चाहे कोई सरकारी कर्मचारी हो या प्राइवेट यदि 25 किलोमीटर से पहले ऑफिस है तब ऑफिस जाने के लिए निजी वाहन की स्वीकृति नहीं होनी चाहिए सार्वजनिक व्हीकल का उपयोग कर सकते हैं इस प्रकार की छोटी-छोटी पहल को शुरुआत करके हम अपने वातावरण को बचा सकते हैं वातावरण को बचाने के लिए एक  स्थान जनसंख्या नियंत्रण का भी है यदि जनसंख्या नियंत्रित हो जाएगी तो वायुमंडल  स्वयं  सुधर जाएगा

दोस्तों अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए एक छोटी सी पहल की शुरुआत करते हैं वृक्षारोपण करते हैं जिससे हम प्राकृतिक आपदाओं और देवी आपदाओं से बचे रहेंगे
 


Relationship Between Man and Environment These Relationships Have Been Specially Mentioned in Geography

 There is a strong relationship between man and environment. These relationships have been specially mentioned in geography. In the initial phase of the process of emergence and development of man and his society, the environment of man is formed by the physical elements of a planet earth such as climate, soil, animals. Man was basically a physical man because his needs for climate, food and living area were limited and he was completely dependent on nature. As man moved towards social economy and technology, the area of ​​his environment also increased. Along with the increase in the population of man, the number of tribals is also increasing continuously and the form of tribals is changing from rural to urban. This is having adverse effects on the environment and various types of pollution are being born every day.





Man has been living on this earth since ancient times. On the basis of historical facts, man started living on earth from the third era of Eos, which remained like this for many lakhs of years. Scholars say that about 10 lakh years ago, in the Late Creatorian period, the present form of man was developed, which we call intelligent man. In this, man used his experiments. Stone was used for making tools and utensils. These tools were crude and unpolished. This era is called the Early Stone Age and the era after this is called the Proto Stone Age. Humans of this era mostly lived in the tropical regions of the world. The environment of this era was beneficial and convenient for humans. Humans started living in large grasslands and open forests. About 20,000 years ago, when the last Hum era ended, a new Stone Age began. In this era, humans learnt to do animal husbandry and agriculture. In this era, humans also started making clay utensils. In this era, humans also started making cotton clothes. In this era, humans mostly used to make wooden planks.


Most of them lived in the coastal areas of Central Asia, South East Asia, China, India, West Asia, Eastern Europe and North Africa. 5000 years before Christ, the modern civilization developed. At that time, the population of the entire world was about 100 lakhs and at the time of Christ's birth, the population of this world was 1000 lakhs and in the year 1600, the world's population was estimated to be about 4000 people. But in 2025 AD, the population has increased record-breakingly. Due to the rapid increase in population, the world is standing at such a delicate place from where the crisis of natural resources is clearly visible. Population growth is not only creating social problems, many environmental problems are also arising. Along with population growth, human needs are also increasing, which is adversely affecting the unlimited resources of the earth. Especially, excessive pressure is increasing on the earth's land, water and air elements. Water, land and air are very essential for humans, but due to the consumerist activities of humans, these three elements are getting highly polluted. No matter how much scientific progress humans make, new land areas are not being created on the earth. Water area and air area cannot produce anything. Due to pollution caused by humans in land, water and air, its quality is constantly decreasing and it is no longer fit for human use.

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The Divine Power Of God

 



The divine story of this forest is very unique. All the creatures in this forest are divine because time does not affect this forest. The trees here never dry up, nor do they grow. This forest is beyond time, so the creatures of this forest are always happy because time cannot harm them. All these creatures are wish-fulfilling. All these creatures, trees and plants can assume their form according to their wish. Similarly, the creatures of this river can also change their form according to their wish. There are very rare herbs and medicinal herbs in this forest and all the wild animals have the knowledge of those medicinal herbs. Medicines for every human disease are available in this forest, but due to ignorance, humans cannot recognize them and this knowledge is only with these divine wild animals. If the wild animals will reveal the secrets of this forest to humans, then humans will definitely try to reach this natural divinity and wild animals with the power of their intelligence. That is why the king of the jungle has made all the arrangements and no human can stay here.

It is a very beautiful green forest in which there are very tall green trees. Because of these tall trees, it rains in this forest all 12 months. Because of the rain, the tall trees remain green. A very big river is flowing in this forest. This river is ruled by crocodiles. This river has one speciality, it is not an ordinary river, it is a divine river, any human being who drinks the water of this river once, starts developing divine powers inside him, but reaching the water of this divine river is not that easy. It is not possible to walk on the river on the ground because first of all, all the wild animals protect this river, which is the order of the king of the jungle, no human settlement should be seen in the forest.

कहानी एक जादुई जंगल, शक्तिशाली नदी, और जंगल के राजा शेर की अद्भुत यात्रा को दर्शाती है।

 एक  जंगल जिसमें बहुत बड़े-बड़े पेड़ है जंगल के एक बहुत बड़ी और शांत  नदी वह रही है जिसके चारों ओर घनघोर बन इस नदी की खासियत यह है कि जो भी जीव नदी को प्रणाम किए बगैर पानीपीने आता है यह नहाने के लिए आता है तो यह जादुई नदी अपना पानी सुखा लेती है और फिर तीनदिनों तक जंगल के किसी भी जीवजंतु को पानी नहीं मिलता है इस जंगल के बीचो-बीच एक बहुत बड़ा महल है जिस पर सफेद रंग हो रखा है तथा महल के गुंबदों पर सोने का पत्र चढ़ा हुआहै महल का सबसे बड़ा गुंबद जो सभी गुंबदों केबीचों बीच उसके ऊपर एक दिव्य मणि लगी हुई है इस मणि की की खासियत यह है कि जब सूर्य नदी केबीच-बीच से उदित होता है तब सूर्य की पहली किरण इस मणि पर ही पड़ती है इस मणिपुर सूर्य की किरण पढते  ही चारों तरफ जंगल में प्रकाश उत्पन्न हो जाता है 300 वर्ष बीत चुके हैं जंगल में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था परंतुपकृति के दुश्मन मनुष्य की नजर अचानक इस जंगल पर पड़ जाती है और मनुष्य जंगल को काटने की तैयारी शुरू व्याकुल हो जाते हैं कर देते ह इस बात की पता जैसे ही नदी के राजा मगरमच्छ को लगत है मगरमच्छ बहुत परेशान हो जाता है और नदी सभी जीव व्याकुल हो जाते और सोचते हैं कि यदि मनुष्य ने जंगल काट दिया तो फिर इस नदी का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा और हम सब मारे जाएंगे. मगरमच्छ ने अपनी प्रजा के साथ जंगल के राजा केमहल में जाने का संकल्प लिया और जंगल के राजा शेर से सारी बात  सबको बताने के लिए कहा तभी एक बूढ़ा कछुआ नदी से निकाल कर आता है और कहता है कि ठाकरे तुम जिस राजा के पास जाने के लिए कह रहे हो वह अभी सो रहा है उसकी यह नींद पिछले 300 वर्षों से लगातार चल रहीहै क्योंकि राजा पिछली जंग हार चुका था इसलिए वहअपने शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए अभी 300 वर्षों से लगातार  सो रहा है यदि हम सब जाकर उसे इस अवस्था में उठाएंगे तो वह गुस्सा होकर हम सबको ही मार देगा इसलिए मैं तुम्हें यह दिव्या अखरोट देता हूं तुम सब में जो भी ताकतवर हो पुरी पूरी ताकत से शेर के माथे दूर से फेककर मारना और ध्यान रहे शेर औरअखरोट करने वाले के बीच की दूरी 200 मीटर से कम ना हो क्योंकि जब शेर अखरोट लगने से जागेगा उसके शरीर से दिव्या ऊर्जा उत्पन्न होगी यह इतनी भयंकर होगी जो भी जीव इसके निकट जाएगा वह खुद ही भस्म हो जाएगा और शेर की ऊर्जा भी खत्म हो जाएगी इस बात की जिम्मेदारी भालू ने ली और उसनकहा कि इस अखरोट को मैं शेर के माथे मारूंगा समस्या का समाधान होते ही सब जंगल के राजा शेरके महल की तरफ चल दिए उन्होंने सब वैसे ही किया जैसा कि बूढ़े कछुए ने बताया था अब शेर जाग चुका था शेर जाग के बाद जैसे ही उसके शरीर से उठने वाली ऊर्जा है समाप्त हुई फिर नदी का राजा मगरमच्छ शेरके सामने आया और अपनी सारी समस्याओं को शेर के सामनेरखा और प्रार्थना की की महाराज इस इस जंगल को काटने से बचा लीजिए क्योंकि यहजंगल मैं मानव का प्रवेश हो चुका है यह मनुष्य रूपी दुश्मन और यहां पर अपना शासन स्थापित कर देगा  रात और रात इस जंगल को काटकर खत्म कर देगा तभी पीछे से आकर बूढ़े कछुए ने आकर कहां कीयह सब हम होने ही नहीं देंगे क्योंकि इस नदी को ऐसा वरदानमिला हुआ है



 

जो भी जंगल का राजा इस नदी में अमावस्या की रातको जब जब चंद्रमा शतभिषा गति पर हो उसे नक्षत्र पर यदि जंगल का राजा इस नदी में स्नान करेगा तब उसे अलौकिक शक्तियांप्राप्त हो जाएंगे और वह अजय हो जाएगा उसे इस पृथ्वी पर कोई भी नहीं हरा सकता और कल की रात अमावस्याकी रात ही है महाराज यह नक्षत्र पूरे300 साल आया है आप अपनी शक्तियों को इकट्ठा कीजिए महाराज शेर ने कहा पर रात में नदी पर जाएंगे कैसे हैं क्योंकि सारे हमारे वायुयान पिछले युद्ध में खत्म हो चुके ह और नदी के उसे स्थान पर जाना वायुयानके बगैर संभव ही नहीं है 

तभी मगरमच्छ का एक मंत्री सामने आया और उसने कहा कि महाराज मेरे दादाजी नेमुझे बताया था इस महल की यह खासियत है कि यह महल पूरे जंगल को प्रकाश मन कर देता है और महल में अंधेरा रहता है मैंने उनसे पूछा कि यह किस लिए होताहै उत्तम दादा जी ने कहा कि जैसे ही नदी के बीच-बीच सेसूर्य उदित होता है तो सूर्य की पहली किरण इन 108 गुंबदों मै से जो सबसे बीच में चमचमाता हुआ सबसे बड़ा है उसे पर एक मनी लगी हुई है यह मनी ही जंगल के जीव जंतुओं को ऊर्जा प्रदान करती है और राजाकी सारी शक्तियां भी इसी मनी केअंदर होती ह जो राजा इस बड़ी को उतार कर अमावस्या के दिन इस मणि को ले जाकर मध्य रात्रि को नदी में स्नान करता है महाराजा अलौकिक शक्तियों से भरपूर हो जाता है इन बातों को सुनते ही राजा जोर से गर्जना की और तोड़कर महल के गुंबद से माणिक और लेकर आ गया राजा राजमणि को लेकर आगे आगे चल रहा है ,और जंगल कीऔर नदी की प्रजा राजा पीछे पीछे चल रही है 


नदी की ओर राजा को आते हुए देख कर ड्रैकुला संपूर्ण शक्तिके साथ तैयार हो रहे हैं और राजा को नदी में स्नान करने से रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं तभी नदी के राज मगरमच्छ ने राजा से कहा किआप मेरी पीठ पर मुझे कसकर पकड़ लो राजने कहा ऐसा कैसे हो सकता मैं आपको कैसे पड़ सकता ह मैं गिर सकता हूं और यदि मैं नदी में गिर गया तो यह मनी किसी काम की नहीं रहेगी और सारी अलौकिक शक्तियां इस मनीसे चली जाएगीतब मगरमच्छ ने कहा कि महाराज मनी को दिव्य शक्तियां प्राप्त होजाएगी अपने मुंह के अंदर रख लीजिए और मैं आपको शीघ्रता के सातों सेस्थान पर लेकर जहां आपको स्नान करने से दिव्य शक्तियांप्प्त हो  जाएगी शेर राजा मान गया औरउसने ऐसे ही किया मगरमच्छ ने शेर को पल भरमें ले जाकर खड़ा कर दिया जहां पर ड्रैकुला उसे रोकना चाह रहे थे अब शेर ने अपने मुंह से मनी को निकाल पहले मनी को स्नान कराया और फिर स्वयं भी अपने आप स्नान किया स्नान करते ही राजा के अंदर दिव्य शक्तियां प्रकट होने लगी और दिव्य प्रकाश से चारों ओर जंगल में प्रकाश की प्रकाश होगया अब सारे ड्रैकुला दिव्य प्रकाश कोदेखते ही वहां से भागखड हुए





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