प्रकृति और मनुष्य का संबंध आदिकाल से ही बना हुआ है यदि मनुष्य ने शीघ्र अति शीघ्र प्रकृति का दोहन करना बंद नहीं किया तो परिणाम बहुत गंभीर भुगतने पड़ेंगे आज का मानव अपने स्वार्थ के कारण दिन प्रतिदिन जंगल में पेड़ों को काटता चला जा रहा है प्रकृति का अस्तित्व पेड़ों से ही बना हुआ है क्योंकि पेड़ यह कैसे वस्तु है जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो को ऑक्सीजन उपलब्ध कराते हैं और जीव जंतुओं द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं जिससे प्रकृति में एक संतुलन बना रहता है यदि मनुष्य निरंतर पेड़ों को काटता चला जाएगा तब वायुमंडल में ऑक्सीजन और अन्य गैसों का संतुलन बिगड़ जाएगा जिसके परिणाम स्वरुप धरती का वातावरण गर्म हो जाएगा वायु मंडल गर्म होने के कारण धरती की ऊपरी सतह जलने लगेगी पृथ्वी पर कुछ भी फसल पैदा नहीं होगी पेड़ पौधे जलते शुरू हो जाएंगे परिणाम स्वरूप सारी प्रजाति नष्ट हो जाएगी पृथ्वी पर जीवन शेष नहीं रहेगा पृथ्वी की इतनी भयंकर हालत होने से पहले मनुष्य को अपने किए हुए पर पश्चाताप चाहिए और अपनी गलती में सुधार करना चाहिए और प्रत्येक मनुष्य को इस पृथ्वी को बचाने के लिए वृक्षारोपण जरूर करना चाहिए , तभी हम सब बच पाएंगे
Relation Between Nature and Human (Don't cut trees Please save earth)
आज का मानव भौतिक सुखों की चाह में प्रकृति का दोहन बहुत ही बुरे तरीके से कर रहा है अपनी झूठी शान और शौकत बढ़ाने के चक्कर में भौतिक सुखों को बढ़ाने के चक्कर में हम सब प्रकृति का लगातार निरंतर दुरुपयोग कर रहे हैं हम सब और वैज्ञानिक लोग यही समझ रहे हैं कि हमने विज्ञान में बहुत ज्यादा तरक्की कर ली है परंतु ध्यान रहे विज्ञान चाहे कितने भी तरक्की क्यों न कर ले यदि प्रकृति नाराज होती है तो सारी की सारी भौतिक रिसर्च राखी रह जाती है प्रकृति का कोप झेलने की क्षमता मानव के अंदर नहीं है मानव इस बात को सदैव भूले रहता है आज संपूर्ण विश्व में जंगल और पेड़ों को काटकर नई-नई बस्तियां बनाई जा रही है इमारते बनाई जा रही हैं जिस दिन प्रतिदिन वायुमंडल में गर्मी बढ़ रही है वायुमंडल में रेडिएशन फैल रहा है परंतु सभी देशों की सरकार इन मुद्दों पर चुप है इसका कारण यह है कि यदि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर रोक लगेगी तब उस कंट्री की जीडीपी डाउन हो जाएगी इसलिए सरकारों को सब पता होते हुए भी चुप्पी रहते हैं इस पृथ्वीपुर सभी जीव जंतुओं में सबसे ज्यादा प्रदूषण मनुष्य के द्वारा ही होता है प्रकृति का शत्रु मनुष्य ही है मनुष्य की आबादी जहां-जहां होती है वहां-वहां गंदगी के ढेर लगे रहते हैं जैसे प्लास्टिक इत्यादि करकट वायुमंडल में भी सबसे ज्यादा प्रदूषण मनुष्य के द्वारा ही होता है गाड़ी उद्योग फैक्ट्री इत्यादियों के द्वारा वायु प्रदूषण लगातार हो रहा है सरकारों को प्रकृति को बचाने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे कि चाहे कोई सरकारी कर्मचारी हो या प्राइवेट यदि 25 किलोमीटर से पहले ऑफिस है तब ऑफिस जाने के लिए निजी वाहन की स्वीकृति नहीं होनी चाहिए सार्वजनिक व्हीकल का उपयोग कर सकते हैं इस प्रकार की छोटी-छोटी पहल को शुरुआत करके हम अपने वातावरण को बचा सकते हैं वातावरण को बचाने के लिए एक स्थान जनसंख्या नियंत्रण का भी है यदि जनसंख्या नियंत्रित हो जाएगी तो वायुमंडल स्वयं सुधर जाएगा
दोस्तों अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए एक छोटी सी पहल की शुरुआत करते हैं वृक्षारोपण करते हैं जिससे हम प्राकृतिक आपदाओं और देवी आपदाओं से बचे रहेंगे
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