भारतीय संस्कृति में आदर्श राजा, पुत्र, पति ,और भाई के रूप में पूजित भगवान श्री रामचंद्र जी का संक्षिप्त जीवन परिचय

    भगवान   श्री राम हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजनीय हैं। वे विष्णु के सातवें       अवतार माने जाते हैं और उनके जीवन पर आधारित महाकाव्य रामायण उनकी महिमा और आदर्शों का वर्णन     करता है। उनका जीवन सादगी, धर्म, सत्य और आदर्शों का प्रतीक माना जाता है।




                                                               

                                                             संक्षिप्त जीवन परिचय:

जन्म: भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ। उनका जन्म त्रेतायुग में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ, जिसे राम नवमी के रूप में मनाया जाता है।

परिवार: श्रीराम के तीन भाई थे - भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न।

गुरु: ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें शिक्षा और धर्म का ज्ञान दिया।

विवाह: सीता जी से उनका विवाह हुआ, जो राजा जनक की पुत्री और देवी लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है1वनवास: पिता दशरथ के वचन की रक्षा के लिए उन्होंने 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किया।लंका विजय: रावण द्वारा माता सीता का हरण करने के बाद श्रीराम ने वानर सेना और भक्त हनुमान की सहायता से लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।राज्याभिषेक: वनवास के बाद श्रीराम अयोध्या लौटे और रामराज्य की स्थापना की, जो न्याय, समृद्धि और धर्म का प्रतीक है।

                                                                    गुण और आदर्श:

सत्य और धर्म की रक्षा के लिए अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग।मर्यादा का पालन और कर्तव्यनिष्ठ!दया, प्रेम और क्षमा का महत्वसिखाया और आज के मानव के लिए भगवान श्री रामचंद्र जी ने यह बताने का प्रयास किया है कि जीवन में उतार चढ़ाव हमेशा ही बने रहते हैं  परिस्थितियों से कभी निराश नहीं होना चाहिए बल्कि इनका  डटकर सामना करना चाहिए कोई भी परिस्थिति स्थाई रूप से जीवन में नहीं रहती है जिस प्रकार दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता है उसी प्रकार जीवन में सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आते हैं हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए!



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